आदरणीय रविशकुमार
मै भी कभी समाचार
देखनेंके लिए
अपना समय
बरबाद न करता था बजाय कुछ
दिनोंसे ललित
मोदी बनाम
इंडियन पॉलिटीक्स की मैच देश
के तमाम
न्युज चैनलोंपर देख
रहा हॅं
। वैसे
तो न क्रिकट खेलनेंमे मेरी
कभी रूची
रही, हॉ लेकीन कौन
कितना कमा
रहा है इसे जानने
की कोशिश
जारी रहती
है। एक सामान्य नागरिक
होने के बावजूद इन सभी चैनलोंका मन ही मन विश्र्लेशण करना
यह आदतसी
हो गयी
है। जहॉतक इस विवाद का सवाल है थोडा थोडा
स्टोरी के पिछेवाली स्टोरी
बनाता रहता
हुं । आयपीएल के शुरूवाती दौरमें
नेता से लेकर अभिनेताओंने अपनी
जमा पुंजी
इस दांव
पर लगा
दी ताकी
अपनी जेंबें
दर्जीको बुलाकर
बडी कर सकें । मैनेजमेंट के चैंपियन ललित
मोदी की कॉलेजमें परिक्षा
के हेतु
बनायी हुयी
आयपीएलवाली प्रोजेक्ट बीसीसीआयके श्रीनिवासन नें
तभी अपनाली
होती तो इतनी नौबत
आतीही नही,
अब उसी
आयडीया के ललित मोदीने
कुछही दिनोंमे
हजारगुना पैसे
कमा लिए।
मुझे याद
है जब ललित मोदी
घोडोंकी तरह
क्रिकेटर्स खरीद
रहे थें
समाजार एजंसीयोको टिआरपी
बढाने का मौका मिल
गया था ओर तो ओर बीसीसीआय के अधिकारी भौंचक्के रह गये थे । जीन
खिलाडीयोंको एक मैच खेलने
के लिए
पांच पांच
लाख बीसीसीआय देता
था उन्ही
खिलाडीयोंको पांच
मैच खेलनेका
एक करोड
वाला प्रस्ताव पसंत
तो आता
ही ना?
इस खेलमें
सबसे पहले
नेताओंने पैसे
डाल शरुवात
करी उसके
बाद अभिनेताओंकी लंबी
कतार भी नजर आयी।
आखीर रविशभाई
पैसा तो पैसा होता
है न । खेल
भी वैसा
ही था,
किसी का कुछ जानेवाला न था । खिलाडी भी पैसे कमाएगा,
नेता भी कमाएगा, अभिनेता
भी कमाएगा,
बडी बडी
कंपनीयोंके सीईओ
ने भी बढचढकर इसमें
हिस्सा लिया
। नरेंद्रभाई के देसमें एक कहावत है –
पिसा पिसेंको
खिंचे हे भाई !
जिस खेलमें
सबको अपनी
जेंबें दर्जीको
बुलाकर बडी
करनी थी । कुछ
स्किल डेवलपमेंट भी होना चाहीए
कुछ असर
के लिए
। बस खेल खतम
हुआ पैसा
हजम हुआ
नही के बेचारे ललित
मोदी को इन सभी
नेताओंने तंग
करना शुरू
किया होगा
। बेचारा
ललित मोदी,
सबको कमाने
का मोका
दिया था,
सबने कमाया
भी लेकिन
मैनेजमेंट का छात्र रहा
मोदी राजनिती
का छात्र
न था । उसने
थोडा (बहुत)
जादा कमा
लिया ओर यह बात
राजनिती करनेवालोंको नागवार
गुजरी होगी
न । उसी समय
लोकसभा के चुनाव भी जल्दही पास
आने लगे
। थोंडा
तो पार्टी
फंड मांगा
होगा दिल्लीवाली उस वक्त की सरकारनें । भई सरकारमें रहे
नेता ही तो थे पार्टनर, पता
तो होगा
कितना कमाया
कम दिनोंमें, कुछ
हिस्सा दे दे देते
तो ईडी
वाला मसला
होता ही नही । दिमाग लगाकर
कमाया पैसा
इतनी सहज
लमो देंगे
भी क्यु?
ओर वैसेभी
सभी दलोके
नेता पार्टनर
रहे होगे
उनके । कुछ दलोंने
पैसा मांगा
होगा तो कुछ दलोंने
कछु न देनेका मोफत
सलाह तो जरूर दिया
होगा । यह भी सलाह दिया
होगा की यहॉंसे सटकले
भिडू नही
तो पैरोंके
निचेवाली जमीन
भी नसीब
नही होगी
। भरोसां
भी दिलाया
होगा की भाई चला
जा – हम है ना । हवाओंका
रूख देखकर
लमो ने कन्नी मार
दी । पता तो उसको भी था की दुनिया में
हर चिज
बेची जाती
है, बस थोडा पैसा
चाहिए जीसकी
उसके पास
कमी न थी ।
अब तर्क
यह भी लगा रहा
हु । रागां के एक दिन
पिछे सोगां
भी परदेस
चली गयी
। उनके
चेलें यहा
अपना काम
बखुभी कर रहें है । दिनमें
चार चार
बार अलग
अलग प्रेस
कॉन्फरन्स कर मिडीया को इन नेताओंने बिल्कुल
बिझी कर दिया है । लमो
टेन स्टार
होटलोंके स्विमींग टैंक
के बाहर
रखे हुए
अपने सिल्क
स्लिपरमें बैठे
बैठे आयफोन
10? (होगा भाई
उसके पास
पैसा है
! एं) पर आरामसे ट्विट
करता होगा
। कभी
गलती से सच्ची बातोंका
ट्विट हो जाता होगा
। वगां
वाला ट्विट
अभी अभी
पढा मैनें
भी । परायी दलमें
होने के बावजूद अपनी
सगी आंटी
का आफर
भी लमो
को दिया
जा सकता
है न । पैसा
तो पैसा
होता है । लिखते
लिखते मुझे
तो गाना
याद आया
– सबकी बजाएंगे,
सबकी बजाएंगे,
पार्टी अभी
जारी है,
पार्टी अभी
जारी है –
आंटी पुलीस
बुला लेगी
।
खेंर लिखते
लिखते तो मैं भी थका सा महसुस कर रहा हु । आखिर
कोई मुझे
बताएगा रंगमंचपर इतने
सारे नेता
अभिनेता के रूपमें किरदार
निभा रहे
है, मिडीया
मुवी दिग्दर्शक का किरदार निभाता
अपनी अपनी
तरीकेसे जनता
को मंत्रमुग्ध कर रहे है
ये रागां
के पिछे
पिछे सागां
परदेस मे कोई फायनल
सेटींग करने
तो नही
गए ? भगवान
करें सेटींग
हो जाए
। यहा
एक राज्यकी
मुख्यमंत्री समेत
देशकी विदेशमंत्री को चेक दे रखा है । गर सेटींग नही
हुयी तो इन बेचारोंकी बली
चढ जाएगी
।
श्रीनिवास गर्गे
नासिक, महाराष्ट्र
09860555056
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